Sher - o - Shayari

Jindagi Na Milegi Dobara


पिघले नीलम सा बेहेता हुआ ए समा
निली निली सी खामोशिया
ना काही है जमी ना काही है आसमा
सरसराती हुई टहेनिया पत्तिया
कह रही है की बस ईक तुम हो यहा
सिर्फ मै हु, मेरी सासे और मेरी धडकणे
ऐसी गेहेराईया ऐसी तानहाइया
और मै...
अपने होणे पे मुझकॉ यॅकीन आ गया...!
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जब जब दर्द का बादल छाया
जब गम का साया लेहेरआया
जब आसु पलको तक आया
जब ये तनहा दिल घबराया
हामने दिल को ए सामझाया
दिल आखिर तू क्यो रोता है
दुनियमे यूही होता है

ए जो गेहेरे सन्नटए है
वक्त ने सबकोही बाटे है
थोडा गम है सबका किस्सा
थोडी धुप है सबका हिस्सा

आख तेरी बेकार ही नम है
हार पल ईक नया मौसम है
क्यो तू ऐसे पल खोता है
दिल आखिर तू क्यो रोता है...!
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दिलोमे तुम अपनी बेताबिया लेके चलो
तो जिन्दा हो तुम...!
नजर मे ख्वाबो की बिजलीया लेके चल रहे हो
तो जिन्दा हो तुम...!
हवा के झोको के जैसे आझा द रेहेना सिखो
तुम ईक दरीया के जैसे लेहेरो मे बेहेना सिखो
हार ईक लम्हे से तुम मिलो खोले अपने बाहे
हार ईक पल ये नया समा देखे ये दिवारे
जो अपनी आखो मे हैरानिया लेके चल राहे हो
तो जिन्दा हो तुम...!
दिलो मे तुम अपनी बेताबिया लेके चल रहे हो

तो जिन्दा हो तुम...!

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Sharabi
आज उतनी भी नही मैकखाने मे
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमानें मे
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मंज़िलोपे आक़े लूटते
है दिलोके कारवा
कश्टिया साहिल पे अक्सर
डूबती है प्यार की
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Misc
मुश्किल इस दुनिया मे कुच भी नही
फिर भी लोग अपने इरादे बदल देते है
अगर सच्चे दिल से मांगो कुच
तो सितारे भी किसी के लिये
अपनी जगह छोड देते है
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मंजिल ना रही कोई
कोई  ठिकाणा भी नही है
वापस घर  लौटके मुझे जाना भी नही है
जिने कि कोई राह नही मिलती
मरणे का कोई इरादा भी नही है
मैने ही सिखाया था उसे तीर चलाना
मेरे सिवा कोई और निशाणा भी नही है
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रात का अंधेरा कूच केहेना चाहता है ....
ये चांद चांदणी के साथ रेहेना चाहता है ............
हम तो तनहा हि खुश थे यारो ....
मगर पता नही क्यो ये दिल
अब किसी के साथ रेहेना चाहता है ....!
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मंजिले भी उसकी थी .... रास्ता भी उसका था ....
येक मै अकेला था .... काफिला  भी उसका था ....
साथ साथ चलने कि सोच भी उसकी थी
फिर रास्ता बदलनेका फैसला भी उसका था ....
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